दशहरे का त्योहार न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि इसके साथ कई परंपराएं जुड़ी हुई हैं. उनमें से एक है दशहरे पर जलेबी खाना. यह केवल स्वादिष्ट मिठाई नहीं है, बल्कि इसके पीछे छुपा है धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व.
जलेबी और शशकुली का संबंध
पुराने समय में जलेबी को शशकुली कहा जाता था, शशकुली का निर्माण गोलाकार और घुमावदार होता है. जो सूर्य और चक्र के प्रतीक माने जाते थे. इसे खाने से मान्यता थी कि बुराई पर अच्छाई की जीत होगी, घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आएगी
बच्चों और परिवार के सदस्यों की रक्षा होगी.
श्रीराम और जलेबी का महत्व
दशहरे पर जलेबी खाने की परंपरा श्रीराम की विजय से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि जब श्रीराम ने रावण का वध किया, तब जनता ने खुशी में मिठाई बांटी, जलेबी का गोलाकार रूप विजय चक्र और सृष्टि के चक्र को दर्शाता है, इसे खाने से बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मनाया जाता है.
धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश
जलेबी खाने से खुशहाली और समृद्धि आती है, यह त्योहार की मिठास और आनंद को बढ़ाता है, बच्चों को भी यह परंपरा समझाई जाती है ताकि संस्कार और संस्कृति का ज्ञान बढ़े.
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