नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री को समर्पित होता है. शैलपुत्री का अर्थ है ‘पर्वत की पुत्री’ माना जाता है कि माता की कृपा से जीवन में साहस, सुख-समृद्धि और मानसिक शांति आती है. इस दिन उनका पूजन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सारे कष्ट दूर होते हैं.
शैलपुत्री माता की पूजा का शुभ समय
नवरात्रि के पहले दिन का शुभ मुहूर्त आमतौर पर सुबह 6:00 बजे से 10:00 बजे तक होता है, इस दौरान पूजा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
पूजा सामग्री
लाल या पीला वस्त्र, तुलसी का पौधा, दीपक और अगरबत्ती, फूल (गुलाब, गेंदा) फल (केला, सेब), हलवा या मीठा भोग, दूध, जल और कुमकुम.
पूजा विधि
साफ-सुथरे स्थान पर माता की प्रतिमा रखें, दीपक जलाएं और अगरबत्ती अर्पित करें, फूल, फल और भोग अर्पित करें.
शैलपुत्री माता का मंत्र जपें:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” आरती करें और माता से अपने घर व परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें.
भोग का महत्व
भोग में हलवा, फल और मीठा देना शुभ माना जाता है, भोग अर्पित करने से माता की प्रसन्नता बढ़ती है और घर में सुख-समृद्धि आती है.
शैलपुत्री माता के शुभ रंग
पहला दिन: पीला या सफेद शुभ रंग पहनने से पूजा का प्रभाव अधिक माना जाता है.
पूजा के बाद उपाय
घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए पूजा के बाद कमरे में हल्का दीपक जलाएं, तुलसी के पौधे को पूजा स्थल के पास रखें, कथा का पाठ करें और परिवार के सदस्यों को कथा सुनाएं.
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