हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों की परंपराओं का विशेष महत्व है. इन परंपराओं में से एक है शंख बजाना, जिसे शुभ और पवित्र माना गया है. शंख की ध्वनि न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि इसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रभाव भी बेहद गहरा होता है. यही कारण है कि देवी-देवताओं की पूजा के समय शंख बजाना आवश्यक माना जाता है.
शंख का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में शंख को भगवान विष्णु का प्रिय बताया गया है, इसे समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि पूजा में शंख बजाने से देवताओं का आह्वान होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
शंख की ध्वनि और नकारात्मक ऊर्जा
शंख बजाने से वातावरण में कंपन (Vibrations) पैदा होते हैं जो नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं. कहा जाता है कि शंख की ध्वनि से राक्षसी और बुरी शक्तियाँ दूर भाग जाती हैं. पूजा के समय इसे बजाना इसलिए भी जरूरी है ताकि घर का वातावरण शुद्ध और पवित्र बना रहे.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
शंख बजाने से फेफड़ों की एक्सरसाइज होती है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां दूर रहती हैं, इसकी ध्वनि से मस्तिष्क को शांति मिलती है और मानसिक तनाव कम होता है, ध्वनि तरंगें शरीर की कोशिकाओं को सक्रिय कर ऊर्जा स्तर बढ़ाती हैं.
देवी-देवताओं की प्रसन्नता
मान्यता है कि पूजा में शंख बजाने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं. इससे घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि होती है. कुछ लोग मानते हैं कि सुबह-शाम शंख बजाने से घर में हमेशा मंगलमय वातावरण बना रहता है.
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