कैंसर केवल एक बीमारी नहीं, यह जीवन के हर पहलू को प्रभावित करने वाला अनुभव है लेकिन सही समय पर पहचान, उपचार, और मानसिक समर्थन के साथ इसे हराया जा सकता है
आज हम एक कैंसर सर्वाइवर की साहसिक कहानी के साथ मनोवैज्ञानिक की सलाह और कुछ जरूरी सतर्कताओं की जानकारी साझा कर रहे हैं, ताकि आप और आपके प्रियजन सतर्क और सुरक्षित रहें
कहानी: “मेरी दूसरी ज़िंदगी” — अंशु शर्मा, 39 वर्ष, नई दिल्ली
“जब डॉक्टर ने कहा कि मुझे ब्रेस्ट कैंसर है, तो ऐसा लगा जैसे ज़िंदगी रुक गई हो”
36 वर्षीय अंशु शर्मा एक वर्किंग मदर थीं, जिनकी ज़िंदगी आम महिलाओं जैसी व्यस्त थी — घर, बच्चे और नौकरी लेकिन जब उन्होंने स्तन में हल्की गाँठ महसूस की और कभी-कभी असामान्य थकावट और पीठदर्द की शिकायत होने लगी, तो उन्होंने इसे सामान्य माना. Health Tips Doctor’s Advice: वजन घटाने का स्मार्ट तरीका !
“गाँठ तो महसूस हुई थी, लेकिन लगा शायद हार्मोनल बदलाव है वक्त पर जांच नहीं करवाई, जो मेरी सबसे बड़ी भूल थी”
जांच के बाद पता चला — स्टेज 2 ब्रेस्ट कैंसर
इसके बाद कीमोथेरेपी, सर्जरी, और मानसिक संघर्ष की लंबी यात्रा शुरू हुई बाल झड़ना, शरीर में कमजोरी और सामाजिक अलगाव — हर दिन एक नई चुनौती थी लेकिन अंशु ने हार नहीं मानी. Health Tips: अब हेल्थ सिर्फ हॉस्पिटल तक सीमित नहीं है!
“मेरे बच्चों की आंखों में जो भरोसा था, उसने मुझे खड़े रहने की ताकत दी साथ ही एक क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेकर मैंने अपने डर को शब्द देना सीखा ”
मनोवैज्ञानिक की राय: मानसिक स्वास्थ्य की अहम भूमिका
डॉ. रिद्धिमा सेन, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, कहती हैं,
“कैंसर का इलाज केवल शरीर का नहीं होता, यह मन का भी होता है. डर, निराशा, और अकेलेपन की भावना कैंसर मरीज़ों में बहुत सामान्य होती है. समय पर काउंसलिंग से मानसिक संतुलन बनाना इलाज का एक अहम हिस्सा बन सकता है”
उन्हें सलाह है:
- • माइंडफुलनेस और मेडिटेशन: यह चिंता को नियंत्रित करने में सहायक है
- • जर्नलिंग और एक्सप्रेसिव थैरेपी: अपने विचारों को लिखना भावनाओं को समझने में मदद करता है
- • समूहिक समर्थन: अनुभव बांटने से आत्मविश्वास बढ़ता है
- • परिवार की भूमिका: मरीज़ के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहना जरूरी है
पहचानिए कैंसर के प्रारंभिक लक्षण (सामान्य संकेत)
हर कैंसर के लक्षण अलग हो सकते हैं, लेकिन नीचे कुछ सामान्य प्रारंभिक लक्षण हैं जो नज़रअंदाज नहीं करने चाहिए:
- • असामान्य गाँठ या सूजन (स्तन, गर्दन, या कहीं और)
- • लगातार थकावट
- • वजन में अचानक गिरावट
- • न भरने वाला घाव या छाला
- • आवाज़ में बदलाव या लगातार खांसी
- • बदलती त्वचा की बनावट या तिल का आकार बदलना
- • बार-बार बुखार या संक्रमण
- • मल या पेशाब में खून आना
रहें सावधान: बचाव के कुछ आसान लेकिन अहम उपाय
- • नियमित मेडिकल चेकअप करवाएं, विशेषकर अगर परिवार में कैंसर का इतिहास हो
- • स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं — संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद
- • धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं, ये कई तरह के कैंसर का कारण बन सकते हैं
- • तनाव को नियंत्रित करें, क्योंकि मानसिक तनाव शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है
- • स्व-जांच (Self-examination) जैसे स्तन जांच या त्वचा का अवलोकन — महीने में एक बार जरूर करें
- • टीकाकरण (Vaccination) — जैसे कि एचपीवी वैक्सीन, सर्वाइकल कैंसर के ख़तरे को कम कर सकता है
नई शुरुआत: अंशु अब क्या कर रही हैं?
इलाज के दो साल बाद अंशु अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और एक कैंसर सपोर्ट ग्रुप की सदस्य हैं
“अब मैं कैंसर मरीज़ों और उनके परिवारों को यह समझाने की कोशिश करती हूँ कि डर से बड़ी कोई बीमारी नहीं हिम्मत और सही सलाह से हम सबसे बड़ी मुश्किल से भी लड़ सकते हैं”
कैंसर से लड़ाई केवल शरीर की नहीं होती — यह मन, भावना और आत्मा की भी लड़ाई होती है अंशु की कहानी हमें सिखाती है कि समय पर सतर्कता, मानसिक समर्थन और आशा की शक्ति से जीवन की सबसे बड़ी चुनौती को भी हराया जा सकता है
अपील:
यदि आप या आपके जानने वाले किसी कैंसर लक्षण को अनुभव कर रहे हैं, तो जांच में देरी न करें याद रखें, कैंसर की जल्द पहचान और उपचार से जीवन बच सकता है

























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