आज की डिजिटल लाइफस्टाइल ने काम आसान किया है, लेकिन इसके साथ ही कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं . मोबाइल, लैपटॉप और लंबे समय तक ऑनलाइन एक्टिव रहने से लोग डिजिटल आई स्ट्रेन, माइग्रेन और गलत पोस्चर जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं .
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डिजिटल आई स्ट्रेन
वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार लगातार स्क्रीन पर नजरें गड़ाए रखने से आंखों में सूखापन, जलन, धुंधलापन और सिरदर्द बढ़ रहा है . डॉ. (नेत्र रोग विशेषज्ञ) का कहना है, “स्क्रीन टाइम लगातार 20–25 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए . 20-20-20 रूल अपनाएं—हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें .”
माइग्रेन और स्ट्रेस हेडेक
न्यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि ब्लू लाइट और लगातार नोटिफिकेशन्स से दिमाग पर दबाव बढ़ता है . यह माइग्रेन और स्ट्रेस हेडेक को ट्रिगर करता है . डॉक्टरों के अनुसार रात को सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल का इस्तेमाल बंद करना चाहिए और नींद का रूटीन तय करना चाहिए .
गलत पोस्चर और बैक पेन
ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि लैपटॉप या मोबाइल झुककर देखने से गर्दन और पीठ पर दबाव बढ़ता है . लंबे समय में यह सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और क्रॉनिक बैक पेन का कारण बन सकता है . डॉ. (ऑर्थोपेडिक) सलाह देते हैं, “कुर्सी पर सीधा बैठें, स्क्रीन आंखों की लेवल पर रखें और हर 40 मिनट में 2–3 मिनट चलकर ब्रेक लें .”
बचाव और हेल्दी डिजिटल लाइफ
- स्क्रीन ब्राइटनेस नैचुरल लाइट के अनुसार एडजस्ट करें .
- दिन में कम से कम 7–8 घंटे की नींद लें .
- ब्लू-लाइट फिल्टर वाले चश्मे का इस्तेमाल करें .
- मोबाइल–लैपटॉप पर काम करते समय बीच-बीच में स्ट्रेचिंग करें .
- बच्चों के स्क्रीन टाइम पर माता-पिता को सख्त निगरानी रखनी चाहिए .
विशेषज्ञ मानते हैं कि टेक्नोलॉजी से बचना संभव नहीं है, लेकिन सही आदतें अपनाकर इसके दुष्प्रभावों से बचाव जरूर किया जा सकता है .