Health Tips: आज के तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धात्मक दौर में मानसिक तनाव (Mental Pressure) एक सामान्य समस्या बनती जा रही है, खासकर दो वर्गों में: छात्र (Students) और वर्किंग प्रोफेशनल्स (Working Professionals). परीक्षा, करियर, आर्थिक अस्थिरता, ऑफिस का वर्कलोड, और सोशल मीडिया का दबाव – ये सभी कारण मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहे हैं.
इस लेख में हम विशेषज्ञों की राय के साथ जानेंगे कि यह प्रेशर क्यों बढ़ रहा है, इसका क्या असर हो रहा है और इससे बचाव या समाधान कैसे किया जा सकता है.
स्टूडेंट्स में बढ़ती मेंटल हेल्थ की समस्या
प्रमुख कारण:
- अकादमिक प्रेशर: टॉप रैंक लाने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अत्यधिक दबाव
- पैरेंट्स की अपेक्षाएं: परिवार की महत्वाकांक्षाएं कई बार बच्चों पर मानसिक भार डालती हैं
- सोशल मीडिया की तुलना: इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर दूसरों की लाइफ देखकर खुद को कम आंकना
- कोविड के बाद ऑनलाइन पढ़ाई की आदतें जो सामाजिक कौशल को कम कर रही हैं
प्रभाव:
- एंज़ायटी, डिप्रेशन
- आत्म-विश्वास में कमी
- स्लीप डिसऑर्डर
- आत्महत्या जैसे खतरनाक विचार
विशेषज्ञ की राय:
डॉ. रश्मि त्रिवेदी (क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट): पिछले पांच वर्षों में हमारे पास ऐसे टीनएज और कॉलेज स्टूडेंट्स की संख्या दुगुनी हो गई है जो खुद को अकेला और नाकाम मानते हैं. पढ़ाई के साथ संतुलन और मानसिक हेल्थ पर बातचीत ज़रूरी है.
वर्किंग प्रोफेशनल्स में मानसिक दबाव
प्रमुख कारण:
- 24×7 वर्क कल्चर: ऑफिस के बाद भी वर्क ग्रुप्स में काम का दबाव
- वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी: पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन के लिए समय नहीं
- करियर अनिश्चितता: फियर ऑफ लेऑफ, प्रमोशन का प्रेशर
- बॉस या कलीग से तुलना: हमेशा खुद को बेहतर साबित करने की होड़
प्रभाव:
- बर्नआउट सिंड्रोम
- रिश्तों में तनाव
- नींद की कमी, हाई बीपी, हृदय रोग
- शराब या स्मोकिंग की आदतें
विशेषज्ञ की राय:
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काउंसलर अमिताभ चौधरी (कॉर्पोरेट थेरेपिस्ट):
“वर्किंग प्रोफेशनल्स अक्सर खुद को मशीन समझ बैठते हैं. कंपनियों को अब एम्प्लॉयी वेलबीइंग प्रोग्राम अनिवार्य रूप से लागू करने चाहिए. केवल मनी या इन्सेन्टिव से मेंटल हेल्थ नहीं सुधरती.”
समाधान और सुझाव
स्टूडेंट्स के लिए:
- रोज़ाना 30 मिनट की फिज़िकल एक्टिविटी या ध्यान
- मोबाइल और सोशल मीडिया का सीमित उपयोग
- पढ़ाई का टाइमटेबल प्लान करना
- स्कूलों में काउंसलिंग सेल्स बनाना
वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए:
- वर्क टाइम और पर्सनल टाइम को स्पष्ट रूप से अलग करें
- “ना” कहना सीखें – ओवरकमिट न करें
- ऑफिस में मेंटल हेल्थ डे की मांग करें
- मनपसंद हॉबी में समय दें
मानसिक स्वास्थ्य अब लग्ज़री नहीं, बल्कि प्राथमिकता होनी चाहिए. छात्र हों या नौकरीपेशा, अगर मेंटल हेल्थ बिगड़ गई तो सफलता और प्रगति सब फीकी हो जाती है. इसीलिए जरूरी है कि हम मेंटल प्रेशर को नजरअंदाज न करें, बल्कि खुलकर इस पर बातचीत करें, मदद लें और ज़रूरत हो तो काउंसलिंग से न झिझकें.
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