ससुराल और मायके के बीच संतुलन : संयुक्त परिवार बनाम न्यूक्लियर फैमिली की चुनौतियाँ
शादी के बाद हर महिला और पुरुष के जीवन में सबसे बड़ी चुनौती होती है. ससुराल और मायके के बीच संतुलन बनाना . बदलते दौर में संयुक्त परिवार (Joint Family) और न्यूक्लियर फैमिली (Nuclear Family) की व्यवस्थाओं ने इस संतुलन को और पेचीदा बना दिया है . विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रिश्तों में संवाद, समझ और सम्मान की कमी हो जाए तो टकराव स्वाभाविक है .
Advice पति–पत्नी के बीच झगड़े: रिश्ता मजबूत कैसे बनेगा?
संयुक्त परिवार की चुनौतियाँ
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. सीमा अग्रवाल कहती हैं –
“संयुक्त परिवार में रिश्तों की गर्माहट और सुरक्षा तो मिलती है, लेकिन हर सदस्य को अपनी निजी पहचान और स्पेस चाहिए . कई बार निर्णय लेने की स्वतंत्रता न मिल पाने से तनाव और असंतोष बढ़ता है .”
रिलेशनशिप काउंसलर अमित वर्मा बताते हैं –
“ससुराल में रहते हुए मायके के साथ संतुलन बनाना महिलाओं के लिए विशेष चुनौतीपूर्ण होता है . परिवार में हर किसी की अपेक्षाएँ होती हैं, और यदि पति-पत्नी मिलकर सीमाएँ तय न करें तो टकराव बढ़ सकता है .”
न्यूक्लियर फैमिली की चुनौतियाँ
वरिष्ठ फैमिली काउंसलर सुनीता माथुर के अनुसार –
“न्यूक्लियर फैमिली में स्वतंत्रता और प्राइवेसी अधिक मिलती है, लेकिन इससे अकेलापन और जिम्मेदारियों का दबाव भी बढ़ जाता है . खासकर बच्चों की परवरिश में दादा-दादी की कमी महसूस होती है .”
मनोवैज्ञानिक डॉ. राजीव गुप्ता कहते हैं –
“पति-पत्नी दोनों पर घरेलू और आर्थिक जिम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं . ऐसे में मायके या ससुराल से जुड़े रिश्तों को निभाना कठिन हो जाता है, और कई बार परिवारों के बीच दूरी बढ़ने लगती है .”
Expert Advice: पिता–पुत्र संबंध क्यों बिगड़ते हैं?
संतुलन बनाने के उपाय
- खुला संवाद: पति-पत्नी को अपने परिवारों से जुड़ी अपेक्षाओं और सीमाओं पर आपस में खुलकर चर्चा करनी चाहिए .
- समय का बंटवारा: मायके और ससुराल दोनों के साथ समय बिताने का संतुलन ज़रूरी है .
- सीमाओं का सम्मान: हर परिवार के अपने तरीके होते हैं, उनका सम्मान करना चाहिए लेकिन निजी जीवन की सीमाएँ भी तय करनी चाहिए .
- मध्यम रास्ता: यदि संभव हो तो संयुक्त परिवार की मदद और न्यूक्लियर फैमिली की स्वतंत्रता – दोनों का संतुलित मॉडल अपनाना रिश्तों को मजबूत बनाता है .

समाजशास्त्री प्रो. मीना त्रिपाठी कहती हैं –
“समाज बदल रहा है . अब जरूरी है कि हम रिश्तों में अधिकार और कर्तव्य को बराबर समझें . संयुक्त परिवार हो या न्यूक्लियर, संतुलन तभी बनेगा जब आपसी सम्मान और भावनात्मक सहयोग मौजूद हो .”
निष्कर्ष यह कि ससुराल और मायके के बीच संतुलन कोई स्थायी फार्मूला नहीं है . यह हर कपल की परिस्थिति, संवाद और समझ पर निर्भर करता है . सही संवाद और लचीलापन रिश्तों को बोझ नहीं बल्कि मजबूती का आधार बना सकता है .
Leave a Reply