नई दिल्ली: रिश्तों की बुनियाद भरोसे पर टिकी होती है, लेकिन आज सोशल मीडिया, दोस्तों के साथ समय बिताना और निजी प्राइवेसी को लेकर अक्सर कपल्स के बीच टकराव देखने को मिलते हैं. छोटी-सी गलतफहमी धीरे-धीरे शक का रूप ले लेती है और यही शक रिश्ते की सबसे बड़ी दरार बन सकता है.
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सोशल मीडिया और ट्रस्ट लेवल
रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. सीमा अग्रवाल का मानना है कि “आज के दौर में इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप या फेसबुक पर एक्टिविटी रिश्तों में पारदर्शिता और शक दोनों पैदा करती है. कई बार पार्टनर को लगता है कि दूसरे की ऑनलाइन मौजूदगी उससे ज्यादा किसी और को दी जा रही है. इस स्थिति में संवाद की कमी होने पर अविश्वास तेजी से बढ़ता है.”
दोस्तों और प्राइवेसी का मुद्दा
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. अशोक त्रिपाठी कहते हैं, “हर व्यक्ति को रिश्ते में भी अपना निजी स्पेस चाहिए. अगर पार्टनर बार-बार दोस्तों के साथ समय बिताने या मोबाइल चेक करने पर सवाल उठाए, तो वह दखलंदाजी लगने लगता है. वहीं, जरूरत से ज्यादा प्राइवेसी छिपाने जैसा भी लग सकती है. बैलेंस ही रिश्ते की सेहत का असली राज है.”
केस स्टडी
दिल्ली की एक आईटी कंपनी में काम करने वाली 28 वर्षीय प्रिया (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि उनके रिश्ते में सोशल मीडिया ने बड़ी दरार पैदा कर दी. “मेरे पार्टनर को हमेशा लगता था कि मैं किसी और से चैट कर रही हूं. शुरुआत में मैंने समझाया, लेकिन धीरे-धीरे वह शक गुस्से और झगड़े में बदल गया. अंत में रिश्ता टूट गया.”
रिश्ते बचाने के उपाय
- खुलकर बातचीत करें – गलतफहमी को मन में दबाकर रखने से शक बढ़ता है.
- प्राइवेसी का सम्मान करें – हर चीज़ पर कंट्रोल करने से विश्वास कमजोर होता है.
- भरोसा बढ़ाने के लिए सीमाएँ तय करें – सोशल मीडिया इस्तेमाल का समय या दोस्तों के साथ मुलाकातों को लेकर स्पष्टता रखें.
- अगर हालात बिगड़ रहे हों तो कपल थेरेपी या रिलेशनशिप काउंसलर की मदद लें.
भरोसा और शक दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. जहां भरोसा रिश्तों को मजबूत करता है, वहीं शक धीरे-धीरे उन्हें तोड़ देता है. सोशल मीडिया और प्राइवेसी के इस दौर में कपल्स को चाहिए कि वे संवाद और समझदारी से संतुलन बनाएँ.
