बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं जो बाहर बोलने में या कुछ कहने में या किसी सवाल का जवाब देने में संकोच करते हैं, जबकि वह घर पर अच्छे से बात करते हैं, तब उन्हें ये सामान्य झिझक नहीं होती. इसे मनोवैज्ञानिक भाषा में सेलेक्टिव म्यूटिज्म (Selective mutism) कहते हैं. यह एक गंभीर समस्या है जिसे समय रहते नहीं सही करवाया गया तो यह बच्चे की पढ़ाई, दोस्तों और आत्मविश्वास पर असर डाल सकता है.
क्या होता है सेलेक्टिव म्यूटिज्म(Selective mutism)?
साइकोलॉजिस्ट डॉ अनमोल श्रीवास्तव का कहना है कि सेलेक्टिव म्यूटिज्म एक तरह की गंभीर सामाजिक चिंता (Social anxiety) है.बहुत से बच्चे ऐसे हैं जो कुछ खास जगहों पर बोलने में इतना घबराते हैं कि उनकी आवाज़ ही नहीं निकलती है. ऐसे बच्चे घरवालों के सामने तो सामान्य व्यवहार करते हैं लेकिन स्कूल, रिश्तेदारों के सामने अनजान लोगों के सामने चुप्पी साध लेते हैं.
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कैसे पहचानें कि बच्चा सेलेक्टिव म्यूटिज्म से जूझ रहा है या नहीं?
साइकोलॉजिस्ट डॉ अनमोल श्रीवास्तव का कहना है कि बहुत से माता पिता इसे यह कहकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि बच्चा “शर्मिला है”. लेकिन ये सही नहीं है, कुछ बच्चों में संकेत साफ़ होते हैं जैसे –
- बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं जो घर परिवार में खुलकर बोलते हैं लेकिन वो स्कूल या कहीं बाहर कुछ भी नहीं बोलते हैं, वह सोचते हैं कि कहीं अगर ये मैंने बोला तो वो ग़लत ना हो या लोग वो बात सुनके मेरा मजाक ना उड़ाये.
- बहुत से बच्चे क्लास में किसी डर की वजह से टीचर के सवालों के जवाब नहीं दे पाते हैं.अपने ही क्लास के बच्चों से दोस्ती नहीं कर पाते हैं. ये बच्चे कोशिश करते हैं कि वो बच सके सबसे कि कोई उनसे ना तो सवाल करे और ना ही कोई उनसे आके कुछ बोले.
- पब्लिक प्लेस में या किसी फंक्शन या पार्टी में इशारों या फुसफुसाहट में बात करते हैं, उनकी आवाज़ ही नहीं निकलती.
- कई बार तो ऐसा होता है की डर के कारण वे पेट दर्द या सर दर्द की शिकायतें भी नहीं बता पाते. क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर ये उन्होंने ने बताया तो उन्हें डांट पड़ेगी.
इसका समाधान क्या है?
सेलेक्टिव म्यूटिज्म का इलाज संभव है, बस इसको सही तरीके और धैर्य की जरूरत है. इसके कुछ समाधान है जैसे :
व्यवहार चिकित्सा (Behaviour therapy):
साइकोलॉजिस्ट बच्चों को धीरे धीरे नई जगहों पर और नए लोगों के सामने बोलने के लिए मोटीवेट करते है. छोटे छोटे ग्रुप्स में बोलने की प्रैक्टिस भी करवाते हैं. गेम्स खिलवाते हैं, रोल प्ले करवाते हैं, और आर्ट एक्टिविटी करवाते हैं ताकि उनका डर कम हो.
परिवार की सहयोग (Family support)
बच्चों पर परिवार वालों को जबरदस्ती बोलने के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए. उन्हें डांट कर या दूसरे बच्चों से तुलना करके उनका डर और ना बढ़ायें. बच्चों की छोटी छोटी प्रगति पर भी उन्हें सपोर्ट करें और उनकी तारीफ़ करें ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़ सके.

स्कूल और टीचर की भूमिका (School involvement)
टीचर को बच्चे की हालत बतायी जाती है ताकि वे उस बच्चे पर दबाव ना डाल सकें. जब कोई बच्चा कुछ बोले तो उसे समय दें तुरंत टोकें ना. स्कूल में एक स्पेशल सेटअप तैयार करना चाहिए जैसे दोस्ताना माहौल.
यह एक गंभीर समस्या है इसे नजरंदाज ना करें क्योंकि समय रहते ये परेशानी ठीक होने से बच्चा जल्दी रिकवर करता है. बच्चों को कभी शर्मिंदगी ना महसूस होने दें ताकि वे डिमोटिवेट ना हो सकें. अगर लक्षण ज़्यादा गंभीर है तो तुरंत किसी बाल मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से मिलें.
सेलेक्टिव म्यूटिज्म कोई लाइलाज बीमारी नहीं है यह सही थेरेपी, माता पिता का प्यार और धैर्यता बच्चे को उसकी चुप्पी से बाहर निकाल सकता है.
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