मैरिटल रेप (Marital Rape): शादी के रिश्ते में सहमति की अनदेखी
जब शादीशुदा जीवन की बात होती है, तो अक्सर यह मान लिया जाता है कि पति-पत्नी के बीच सेक्सुअल संबंध “स्वाभाविक” हैं . लेकिन क्या इस रिश्ते में भी महिला की सहमति मायने रखती है? क्या शादी के बाद “ना” कहने का अधिकार खत्म हो जाता है?
मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्कार) इसी सवाल के इर्द-गिर्द एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है .
Extra Marital Affairs कैसे पहचानें शुरुआती संकेत?
Live-in relationship में क्या रखें सावधानियां?
क्या होता है मैरिटल रेप (Marital Rape)?
वरिष्ठ मैरिज काउंसलर डॉ. अनुपमा चौधरी बताती हैं, “जब एक पति अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाता है या उस पर दबाव डालता है, तो वह मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक हिंसा का रूप ले सकता है . इसे ही मैरिटल रेप कहते हैं – भले ही वह शादीशुदा हों .”
यह सिर्फ शारीरिक जबरदस्ती नहीं, बल्कि डर, धमकी, मानसिक दबाव या भावनात्मक ब्लैकमेल के जरिए भी हो सकता है .
भारत में मैरिटल रेप (Marital Rape) पर कानून क्या कहता है?
वरिष्ठ वकील अजीत कुमार शाही (दिल्ली हाईकोर्ट) बताते हैं, “IPC की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा दी गई है, लेकिन उसमें Exception 2 कहता है कि यदि महिला पति की पत्नी है और उम्र 18 साल से अधिक है, तो इसे बलात्कार नहीं माना जाएगा – चाहे संबंध उसकी मर्जी के बिना ही क्यों न बने हों .”
यानी, भारत में मैरिटल रेप को फिलहाल आपराधिक अपराध (Criminal Offence) नहीं माना जाता . जब तक महिला की उम्र 18 से ज्यादा हो और वे कानूनी रूप से शादीशुदा हों .
कौन-कौन से कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं?
- हालांकि, पूरी तरह से क्रिमिनल कानून लागू न होने के बावजूद, महिला कुछ कानूनी रास्ते अपना सकती है:
- धारा 498A (IPC) – क्रूरता के लिए केस दर्ज कर सकती हैं
- घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 (DV Act) – इसमें मानसिक, शारीरिक, यौन और आर्थिक शोषण की शिकायत की जा सकती है
- तलाक या पृथक रहने का आधार बन सकता है
- परामर्श और हेल्पलाइन सहायता उपलब्ध है
वरिष्ठ वकील अजीत कुमार शाही (दिल्ली हाईकोर्ट) कहते हैं, “अब कई हाईकोर्ट्स में इस विषय पर याचिकाएं लंबित हैं और सुप्रीम कोर्ट में भी बहस चल रही है . यह समय की मांग है कि विवाह में भी सहमति को मान्यता दी जाए .”
क्या कहती हैं काउंसलर?
डॉ. अनुपमा चौधरी बताती हैं, “बहुत-सी महिलाएं डर, शर्म और सामाजिक दबाव के कारण चुप रहती हैं . उन्हें यह समझाना जरूरी है कि उनका शरीर सिर्फ उनका है, चाहे रिश्ता कोई भी हो . मानसिक ट्रॉमा, अवसाद और आत्मविश्वास की हानि – ये सब इसके गहरे असर हैं .”
(Relationship Tips, Virtual Love, Real Love) आज के डिजिटल युग में प्यार की परिभाषा तेजी से बदल रही है. इंस्टाग्राम, डेटिंग ऐप्स और चैटिंग प्लेटफॉर्म्स पर मिलने वाले वर्चुअल रिश्ते कई बार इतनी गहराई में चले जाते हैं कि असल जिंदगी के कनेक्शनों से भी ज्यादा समय और ऊर्जा ले लेते हैं. लेकिन क्या वर्चुअल लव सच में रियल कनेक्शन की जगह ले सकता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने बात की वरिष्ठ रिलेशनशिप काउंसलर और साइकोलॉजिस्ट्स से.

कैसे पहचानें मैरिटल रेप के संकेत?
- बार-बार न चाहते हुए भी सेक्स के लिए मजबूर किया जाना
- धमकी देना – “अगर नहीं किया तो घर छोड़ दूंगा / अफेयर कर लूंगा”
- महिला की भावनाओं की अनदेखी
- जबरन संबंध के बाद अपराधबोध और आंसू
- महिला का आत्मसम्मान टूटना, डिप्रेशन
महिला सहायता हेल्पलाइंस:
181 – महिला हेल्पलाइन
1091 – पुलिस हेल्पलाइन
NCW – 7827-170-170
राष्ट्रीय महिला आयोग की वेबसाइट: www.ncw.nic.in
मैरिटल रेप कोई कल्पनात्मक बात नहीं, बल्कि हजारों महिलाओं की खामोश पीड़ा है . कानून भले आज इसे पूरी तरह अपराध न माने, लेकिन इंसानियत, सम्मान और रिश्तों की मर्यादा इसे स्वीकार नहीं कर सकती . हर शादी में सहमति जरूरी है – ‘ना’ का मतलब ‘ना’ होता है – चाहे रिश्ता कोई भी हो .
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