पटना: जिले के बाढ़ अनुमंडल का मसूद बिगहा गांव. शुक्रवार की रात अचानक एक परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. परिवार के सहारा और मोकामा पीएचसी में बड़े बाबू रहे अमरजीत कुमार की मौत हो गई.\
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कुछ महीने पहले ही कैंसर से उनकी पत्नी दुनिया छोड़ चुकी थीं. अब घर में इकलौता बेटा, बहू कोमल, और हैदराबाद में रहने वाली बेटी ही बची थी. सबको उम्मीद थी कि बेटे का सहारा मिलेगा, लेकिन किस्मत ने कुछ और लिखा था.
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पिता की मौत के बाद जब पूरे गांव में अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी, तभी खबर आई कि बेटा घर से फरार हो गया.
यह सुनते ही हर कोई हैरान रह गया. परिवार सदमे में डूब गया और माहौल और भी भारी हो गया.
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ऐसे कठिन समय में बहू कोमल ने जो कदम उठाया, उसने पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया. उसने रोते हुए लेकिन साहस के साथ थाने में आवेदन दिया और कहा, अगर बेटा भाग गया है, तो मैं ही अपने ससुर का अंतिम संस्कार करूंगी.
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गांव के लोग स्तब्ध थे. आंखों में आंसू थे, लेकिन गर्व भी. अक्सर समाज में बहुओं पर आरोप लगते हैं कि वे सास-ससुर का अनादर करती हैं, लेकिन कोमल ने इस धारणा को तोड़ते हुए दिखा दिया कि बहू भी बेटी से कम नहीं होती.
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आज पूरा बाढ़ अनुमंडल कोमल के इस साहस और जिम्मेदारी की मिसाल दे रहा है. रिश्तेदार बेटे की तलाश कर रहे हैं, पुलिस जांच में जुटी है, लेकिन समाज को यह संदेश मिल चुका है कि रिश्ता खून से ही नहीं, भावनाओं और जिम्मेदारी से भी निभाया जाता है.
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कोमल का यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन चुका है.
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