Advertisement

Crime : भाभी-ननद बनीं बिज़नेस पार्टनर… माल विदेशी, सप्लाई लोकल!

समस्तीपुर: बिहार में बेरोजगारों के लिए आखिरकार सरकार ने “नया रोजगार” खोल ही दिया है. नाम है – शराबबंदी योजना. जी हाँ, सरकार कहती है कि शराबबंदी से लोग सुधर रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि इससे रोज़गार के नए-नए विकल्प निकल रहे हैं. ताज़ा मामला समस्तीपुर जिले का है, जहाँ पटोरी स्टेशन पर उत्पाद विभाग की टीम ने भाभी-ननद को धर दबोचा. इनके पास से 20 लीटर विदेशी शराब बरामद हुई.

Lakhisarai : बड़हिया में इंसाफ की किताब बंद… और सरकार बजा रही है चैन की बंसी!

कहानी फिल्मी है. सुनैना देवी, जिनके पति की सड़क हादसे में मौत हो गई थी, तीन बच्चों का बोझ अकेले उठाती रहीं. रोज़ी-रोटी के संकट में उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली, न ही कोई योजना काम आई. तभी उन्हें रोजगार का नया रास्ता मिला – शराब तस्करी. प्रति खेप 2000 रुपए का पैकेज, बिना इंटरव्यू, बिना रिज़र्वेशन और बिना परीक्षा.

Jamui : पेंशन के नाम पर लूट, यही है सिस्टम का सच!

अब अकेली सुनैना ही क्यों मेहनत करतीं, सो ननद नीतू कुमारी (इंटर की छात्रा) को भी “ट्रेनिंग” दे दी गई. परिवार की आर्थिक तंगी और पंजाब में मजदूरी करने वाले पिता की कमजोर कमाई ने नीतू को भी इस “स्टार्टअप” में उतार दिया. दोनों मिलकर हाजीपुर से माल उठातीं और पटोरी में सप्लाई करतीं.

Politics : अगली बार विधायक रहूँ या न रहूँ… शिलान्यास तो कर दूँ!

लेकिन अफ़सोस, हर व्यवसाय की तरह इस रोजगार में भी रिस्क था. गुप्त सूचना पर उत्पाद विभाग की पदाधिकारी नेहा प्रियदर्शी की टीम ने छापा मारा और दोनों को धर दबोचा. अब इन्हें अदालत का “इंटरव्यू” देना होगा.

Crime : पटना में बालू माफिया-पुलिस मुठभेड़, AK-47 से दनादन फायरिंग, 4 बदमाश गिरफ्तार!

विडंबना यह है कि बिहार में शराबबंदी का ऐलान विकास और स्वास्थ्य सुधार के नाम पर हुआ था. लेकिन परिणाम यह निकला कि गरीब औरतें, बेरोजगार नौजवान और विद्यार्थी अब इसे “कमाई” का जरिया बना रहे हैं. सरकार रोजगार देने में विफल रही, लेकिन शराबबंदी ने रोजगार की नई शाखाएँ खोल दी हैं.

Politics : अगली बार विधायक रहूँ या न रहूँ… शिलान्यास तो कर दूँ!

जनता पूछ रही है – ये कैसा रोजगार, जिसमें पकड़ाई जाने पर सीधे जेल की नौकरी मिल जाती है?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *