भागलपुर जिले के कहलगांव विधानसभा से भाजपा विधायक पवन कुमार यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन पर दो करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का आरोप लगा है. पटना उच्च न्यायालय ने 4 अगस्त 2025 को इस मामले में बड़ा आदेश जारी करते हुए निचली अदालत द्वारा दिए गए बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया है. साथ ही विधायक सहित सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया गया है.
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यह मामला वर्ष 2017 का है. जयमाला सागर नामक महिला ने अपनी कंपनी आनंद इंजीकॉन प्राइवेट लिमिटेड के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. उनका आरोप है कि विधायक पवन कुमार यादव, जिन्हें बाबा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक बताया गया है, और उनके सहयोगियों ने रेलवे का ठेका दिलाने का लालच दिया. इस बहाने जयमाला सागर से उनके खातों में 54 लाख रुपये से अधिक की राशि हस्तांतरित करवाई गई.
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बाद में लिखित समझौते को मौखिक वादे के खिलाफ बताते हुए जयमाला सागर की कंपनी को आवंटित कार्य से हटा दिया गया. इस पर जयमाला ने मुंगेर कोतवाली में मामला दर्ज कराया था. जांच के बाद मुंगेर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल की, जिसके आधार पर निचली अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया.
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जयमाला सागर ने इस फैसले को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने पाया कि निचली अदालत ने मामले के सभी पहलुओं पर पर्याप्त विचार किए बिना ही फैसला दे दिया था. इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने आदेश को पलटते हुए नोटिस जारी करने और निचली अदालत की आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने का निर्देश दिया.
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यह घटनाक्रम विधायक पवन यादव के लिए राजनीतिक और कानूनी दोनों स्तरों पर बड़ा झटका माना जा रहा है. अब इस मामले की आगे की सुनवाई में ही तय होगा कि विधायक और उनके सहयोगियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किस दिशा में जाएगी.
रिपोर्ट: डबलू कुमार, भागलपुर.