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Bihar : 10 दिन का नवरात्र शुरू… पटना के पटन देवी मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़!

पटना: पटना स्थित प्रसिद्ध बड़ी पटन देवी मंदिर में आज शारदीय नवरात्र का भव्य आरंभ हुआ. नवरात्रि के पहले दिन, मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई. बिहार के सभी देवी मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, वहीं पटन देवी मंदिर के बाहर भी भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं. मंदिर के आस-पास के रास्तों को विशेष रूप से सजाया गया और भक्तों के लिए सुव्यवस्थित व्यवस्था की गई.

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इस वर्ष नवरात्र 10 दिन का रहेगा. आमतौर पर नवरात्र 9 दिनों का होता है, लेकिन इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण देवी माता की उपासना दस दिनों तक होगी. यह अवसर 9 साल बाद आया है और इसके पहले 2016 में भी नवरात्र 10 दिनों का हुआ था. इस दौरान 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक विभिन्न स्वरूपों में माता दुर्गा की पूजा की जाएगी. नवरात्र के पहले दिन आश्विन शुक्ल प्रतिपदा में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त रखा गया.

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पटना की बड़ी पटन देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है. मान्यता है कि देवी सती की दाहिनी जंघा यहीं गिरी थी. मंदिर में काले पत्थर से बनी महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की मूर्तियां स्थापित हैं, जिन्हें सतयुग का माना जाता है. मंदिर में स्थित योनी हवन कुंड को लेकर मान्यता है कि इसमें डाली गई सामग्री सीधे पाताल लोक में चली जाती है, इसलिए इसे पाताल लोक से सीधा संबंध रखने वाला माना जाता है. यही कारण है कि इस मंदिर को पटना शहर की रक्षा करने वाली रक्षिका भगवती पटनेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. 1912 में पटन देवी के नाम पर ही बिहार की राजधानी का नाम पटना रखा गया.

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नवरात्र के पहले दिन का महत्व विशेष है. माता शैलपुत्री की पूजा गजकेसरी, बुधादित्य, शुक्ल, ब्रह्म योग और भद्र राजयोग में की जाती है. ज्योतिषाचार्य राकेश झा के अनुसार, देवी का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि हाथी पर सवार होकर माता का आगमन सुख, समृद्धि, आर्थिक उन्नति और विकास लाता है.

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नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालु अपने घर, मंदिर और पूजा पंडालों में घट स्थापना करते हैं. घट स्थापना के बाद श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती, रामचरितमानस, सुंदरकांड, रामरक्षा स्त्रोत्र, दुर्गा सहस्त्र नाम, अर्गला, कवच और सिद्ध कुंजिका स्त्रोत्र का पाठ आरंभ करते हैं. मंदिर में आने वाले श्रद्धालु माता को दंडवत प्रणाम करते हुए हवन कुंड में आहुति डालते हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं.

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इस बार नवरात्र के दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी. 22 सितंबर को प्रतिपदा तिथि में मां शैलपुत्री, 23 सितंबर को द्वितीया तिथि में मां ब्रह्मचारिणी, 24 सितंबर को तृतीया तिथि में मां चंद्रघंटा, 25 और 26 सितंबर को चतुर्थी तिथि में मां कुष्मांडा, 27 सितंबर को पंचमी तिथि में मां स्कंदमाता, 28 सितंबर को षष्ठी तिथि में मां कात्यायनी, 29 सितंबर को सप्तमी तिथि में मां कालरात्रि, 30 सितंबर को अष्टमी तिथि में मां महागौरी, 1 अक्टूबर को नवमी तिथि में मां सिद्धिदात्री और 2 अक्टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा. इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन होने के कारण कुष्मांडा माता की पूजा दो दिन तक चलेगी.

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पटना के बड़ी पटन देवी मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार देखी गई. लोग सुबह से ही मंदिर पहुँचकर माता के दर्शन करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे. मंदिर परिसर में हर वर्ग के लोग शामिल थे—महिला, पुरुष, युवा और बुजुर्ग. श्रद्धालु माता के चरणों में फूल, नारियल, अक्षत और अन्य सामग्री चढ़ाकर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना कर रहे थे.

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ज्योतिषाचार्य राकेश झा के अनुसार, नवरात्र के नौ दिनों में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा और उपासना करने से श्रद्धालु के जीवन में शक्ति, समृद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है. इस अवसर पर मंदिर में सभी सुविधाओं और सुरक्षा प्रबंधों का ध्यान रखा गया. हवन कुंड और गर्भगृह में विशेष साफ-सफाई और पूजा सामग्री की व्यवस्था की गई.

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इस बार का नवरात्र विशेष इसलिए भी है क्योंकि माता दुर्गा हाथी पर विराजमान होकर आ रही हैं. यह विश्वास किया जाता है कि हाथी पर सवार होकर देवी का आगमन सुख-समृद्धि और घर में हर प्रकार की उन्नति लाता है. पटना के भक्त इस अवसर को बड़े उत्साह और श्रद्धा भाव के साथ मना रहे हैं.

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पटन देवी मंदिर में भक्तों की भीड़, कलश स्थापना और नौ दिन तक चलने वाले नवरात्र की तैयारियों ने इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भव्य महोत्सव का रूप दे दिया है. श्रद्धालु नवरात्र के प्रत्येक दिन माता के भिन्न-भिन्न स्वरूपों की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और आने वाले साल में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करेंगे.