पटना की सुबह भले ही बूंदाबांदी से शुरू हुई हो और लोगों को उमस से थोड़ी राहत मिली हो, लेकिन गंगा किनारे रहने वाले परिवारों के लिए यह राहत किसी डर से कम नहीं है. बारिश थमने का नाम नहीं ले रही और गंगा का जलस्तर हर घंटे बढ़ रहा है. मुंगेर में तो गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. दियारा के सैकड़ों घर पानी में डूब चुके हैं. मिट्टी की दीवारें ढह रही हैं, घरों से बिस्तर और बर्तन बह रहे हैं, और लोग मजबूरी में नाव या ऊंचे बांधों का सहारा ले रहे हैं.
पटना के दीघा और गांधी घाट पर गंगा का पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच चुका है. वहां रहने वाले लोग कहते हैं—“बरसात का मौसम आता है तो हमें घर छोड़कर जाना पड़ता है. बच्चों की पढ़ाई रुक जाती है, रोज़गार ठप हो जाता है और हमारे पास सिर्फ यही सवाल बचता है कि कब तक?”
Politics : नारे, आरोप और चुटकिला… बिहार चुनाव अब मसालेदार!
बक्सर में तो हालात और भी कठिन हैं. कर्मनाशा नदी का पानी स्टेट हाईवे पर चढ़ गया है. सड़कें डूब चुकी हैं और गांव से शहर तक का रास्ता कट गया है. लोग दवा, दूध और खाने जैसी जरूरी चीजों के लिए परेशान हैं.
Jamui : सुशासन नहीं, यह जंगलराज है!
विडंबना यह है कि राज्य में बारिश अब भी सामान्य से करीब 28% कम है. कहीं किसान बारिश का इंतज़ार कर रहे हैं ताकि धान की रोपनी पूरी हो सके, तो कहीं बाढ़ग्रस्त गांवों में लोग अपनी जमीन और घर को बचाने के लिए जूझ रहे हैं. यह तस्वीर बताती है कि बिहार हर साल या तो सूखे की मार झेलता है या फिर बाढ़ की.
Lakhisarai : टीम वर्क, तालियां और ट्रॉफी… कबड्डी का असली रोमांच लखीसराय में!
पटना में शुक्रवार को आसमान में छाए काले बादलों ने लोगों को चिंता और उम्मीद, दोनों दी. उम्मीद इस बात की कि शायद खेतों में पानी आएगा, चिंता इस बात की कि अगर गंगा और बढ़ी तो हजारों लोग एक बार फिर बेघर हो जाएंगे.
Nalanda : गणेश प्रतिमा हटाने पहुँची पुलिस… और भड़क गई भीड़!
प्रशासन ने राहत और बचाव दलों को अलर्ट पर रखा है, लेकिन जिनकी छत और ज़मीन हर साल पानी में बह जाती है, उनके लिए अलर्ट सिर्फ एक शब्द रह जाता है. उनकी आँखों में बस यही सवाल है—“कब आएगा वो दिन जब बारिश हमारे लिए वरदान बनेगी, आफत नहीं?”