Advertisement

Bihar : रशियन और यूक्रेनियन श्रद्धालुओं ने गयाजी में किया पिंडदान, जताई श्रद्धा और आस्था!

गयाजी: गुरुवार की सुबह गयाजी का वातावरण कुछ अलग ही था. दूर-दूर से आए विदेशी श्रद्धालु फ़लगु नदी के किनारे खड़े थे, हाथों में पिंड और मन में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति की कामना लिए. इनमें रूस, यूक्रेन, स्पेन और अन्य देशों के 17 श्रद्धालु शामिल थे. कुछ लोग पुरुष थे, कुछ महिलाएं, और सबका एक ही उद्देश्य था– अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए पिंडदान.

Munger : बाढ़ राहत में बड़ा फर्जीवाड़ा, असली पीड़ितों की राशि कहां गई?

32 साल की रूसी प्रिंसेज ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, “मैंने सुना था कि गयाजी में पिंडदान से हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. इसी विश्वास और भरोसे के साथ हम यहां आए हैं. पिंडदान के बाद हमें अद्भुत शांति का अनुभव हो रहा है.”

Politics : बीजेपी के 25 से 30 विधायकों का होगा पत्ता साफ?

विदेशी श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर परिसर के तुलसी बगीचा में विधिपूर्वक पिंडदान किया. स्थानीय पंडा-महंतों ने पूरे श्राद्ध कर्मकांड का संचालन किया. पूजा कराने वाले पंडा आचार्य माधव ने कहा, “ये विदेशी श्रद्धालु हमारे सनातन धर्म की आस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान और सम्मान दे रहे हैं. ये हमारे लिए गर्व की बात है. कई लोग देश में रहते हुए भी हमारी संस्कृति का सम्मान नहीं करते, लेकिन ये बाहर से आकर उसे अपनाते हैं.”

Politics : 1 रुपए में 1050 एकड़ जमीन और 10 लाख पेड़…सड़क पर उतरी कांग्रेस!

गाइड जितेंद्र तंवर ने बताया कि इनमें से अधिकांश श्रद्धालु साल में दो-तीन बार भारत आते हैं. वे पहले राजस्थान के पुष्कर गए, कामाख्या मंदिर गए और अब गयाजी में पिंडदान कर रहे हैं. इसमें से एक श्रद्धालु BHU (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) से संस्कृत की पढ़ाई कर चुका है. उसकी प्रेरणा से अन्य श्रद्धालु भी भारत में हमारे संस्कार और पूजा पद्धति के प्रति आकर्षित हुए.

Bihar : अब EVM पर उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें – बिहार से नई शुरुआत!

प्रिंसेज ने कहा कि गयाजी और भारत के लोग बेहद आत्मीय हैं, और यह अनुभव उनके लिए जीवनभर यादगार रहेगा. पिंडदान के बाद ये श्रद्धालु उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के लिए जाएंगे.

Jamui : 28 जानें गईं… और अब संगठन कह रहा है – शांति की राह चुनेंगे!

विदेशी श्रद्धालुओं की यह पहल यह साबित करती है कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की आस्था अब सीमाओं से बाहर भी सम्मानित और अपनाई जा रही है. भाषा और देश अलग हो सकते हैं, लेकिन आस्था और श्रद्धा का भाव सार्वभौमिक है. स्थानीय पंडा-महंतों ने भी इसे गर्व की बात बताते हुए कहा कि यह हमारे धर्म और संस्कृति की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है.

Lakhisarai : पटना से पकड़ा गया कुख्यात भू-माफिया सांवल ड्रोलिया, अब किसकी बारी?

इस तरह, गुरुवार का दिन गयाजी में केवल धार्मिक कर्मकांड का नहीं, बल्कि संस्कृति और आस्था की अंतरराष्ट्रीय दोस्ती का भी प्रतीक बन गया.