शेखपुरा: गंगा की सहायक हरूहर नदी ने पिछले तीन सप्ताह से अपना रौद्र रूप दिखाया है, जिससे घाट कुसंभा प्रखंड के पांच पंचायत के हजारों लोग जल कैद बने हुए हैं. पानापुर पंचायत को जोड़ने वाले मुख्य सड़क के पुल पर तीन-चार फुट पानी बह रहा है, जिससे प्रखंड मुख्यालय से संपर्क कट गया है. ग्रामीण छत और ऊंची जगहों पर रहकर अपने परिवार और मवेशियों की सुरक्षा कर रहे हैं.
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स्थानीय लोग सरकार की दोहरी नीति पर नाराज़ हैं. उन्होंने बताया कि नदी के एक किनारे बाढ़ग्रस्त इलाके को राहत दी जाती है, जबकि दूसरे किनारे को जलजमाव माना जाता है और लाभ नहीं मिलता. घाटकुसंभा प्रखंड के डीह कुसंभा, पानापुर, गगौर, माफो और भदौसी पंचायत के 24 गांवों में फसलें बर्बाद हो गई हैं और सैकड़ों घर जलमग्न हैं.
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स्थानीय महिला कारी देवी ने कहा कि छत पर रहना मुश्किल भरा हो गया है. खाना बनाने, पानी की समस्या और सांप-बिच्छू का खतरा बढ़ गया है. ग्रामीण मनोज कुमार ने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन केवल भ्रमण कर फोटो खिंचवाकर लौट जाता है और राहत नहीं पहुँचाता.
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स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार की इस दोहरी नीति पर कड़ी आपत्ति जताई है. हरूहर नदी के दूसरे किनारे लखीसराय जिला के गांवों को बाढ़ग्रस्त मानकर राहत दी जाती है, जबकि शेखपुरा जिले के गांवों को जलजमाव की श्रेणी में रखकर अनदेखा किया जा रहा है. इस असमान नीति के कारण स्थानीय लोग सुरक्षित रहने और फसल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
रिपोर्ट: शिवचंद्र प्रताप, शेखपुरा.