“एक रिटायर्ड साइंटिस्ट… जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी लैब में देश की सेवा की… आज बूढ़ी आँखों में सिर्फ़ एक सपना है—बिहार को गरीबी, पलायन और भ्रष्टाचार से आज़ाद देखना… क्या इस सपने में आप उसका साथ देंगे?”

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बिहार के एक छोटे से गाँव में जन्मे डॉ. आर.एन. सिंह बचपन से ही तेज दिमाग और जिज्ञासु स्वभाव के लिए जाने जाते थे। पढ़ाई के प्रति उनकी लगन ने उन्हें गाँव की गलियों से निकलकर देश के नामी वैज्ञानिक संस्थानों तक पहुँचा दिया। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में लम्बा योगदान दिया और रिटायरमेंट के बाद भी उनका मन केवल आराम करने में नहीं लगा। उनके भीतर एक बेचैनी थी—अपने राज्य, बिहार की स्थिति को बदलने की।
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वैज्ञानिक सोच रखने वाले डॉ. सिंह का मानना है कि समस्याओं का समाधान तथ्यों, आंकड़ों और व्यवहारिक नीतियों से ही संभव है। यही सोच उन्हें राजनीति और सामाजिक आंदोलन की ओर खींच लाई। पदयात्रा के दौरान जब वे गाँव-गाँव, खेत-खलिहान और बाजारों में लोगों से मिले, तो उन्हें असल समस्या का एहसास हुआ—गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, भ्रष्टाचार और असमानता।

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वे बताते हैं कि बिहार को हर साल करीब 20 हज़ार करोड़ का नुकसान होता है, और इसमें शराबबंदी नीति की बड़ी भूमिका है। उनके अनुसार, शराबबंदी ने न तो शराब की बिक्री रोकी, न ही अपराध कम किया, बल्कि भ्रष्ट अफसरों और माफियाओं की जेबें भर दीं। इसलिए उनकी सरकार बनते ही वे एक घंटे में शराबबंदी खत्म करने का वादा करते हैं।
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खेती-किसानी के मुद्दे पर डॉ. सिंह का दृष्टिकोण अलग है। वे कहते हैं कि बिहार में 60% लोगों के पास जमीन नहीं है, और खेती खाने के लिए नहीं, कमाने के लिए होनी चाहिए। इसके लिए वे “कमाने वाली खेती” का मॉडल लाना चाहते हैं, जिसमें मनरेगा मजदूरों को फ्री में खेती से जोड़ा जाएगा। इससे खेती की लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा।

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महिलाओं के लिए उनके पास स्पष्ट योजना है—अगर कोई महिला लोन लेना चाहती है तो उसे मात्र 4% ब्याज पर लोन मिलेगा और उस पर सरकार की गारंटी होगी। वे मानते हैं कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता ही समाज में असली बदलाव ला सकती है।
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डॉ. सिंह की सोच में एक और अहम पहलू है—सत्ता का विकेंद्रीकरण। उनका मानना है कि निर्णय लेने की शक्ति गाँव और स्थानीय स्तर पर होनी चाहिए, ताकि विकास योजनाएँ ज़मीन पर असर दिखा सकें। साथ ही, वे नौकरियों और राजनीति में जनसंख्या आधारित प्रतिनिधित्व को ज़रूरी मानते हैं, ताकि सभी वर्गों को बराबरी का मौका मिले।

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अपने जीवन के अनुभव और विज्ञान की तर्कशक्ति को साथ लेकर डॉ. आर.एन. सिंह आज एक मिशन पर हैं—”जन सुराज” का संदेश हर घर तक पहुँचाने का। उनका सपना है एक ऐसा बिहार, जो गरीबी, भुखमरी और पलायन की पहचान छोड़कर शिक्षा, रोजगार और विकास का प्रतीक बने।
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गाँव-गाँव में उनकी पदयात्रा सिर्फ एक राजनीतिक अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागरण है। उनका मानना है—“अगर सोच साफ हो, नीयत सच्ची हो और योजना व्यावहारिक हो, तो बिहार को बदलने से कोई नहीं रोक सकता।”
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