पटना : 15 अगस्त की सुबह जब देश आजादी का जश्न मना रहा था, उसी दिन बिहार के नवगछिया के चापर गांव में मातम का सन्नाटा पसरा था. गांव का वीर सपूत, हवलदार अंकित यादव, कश्मीर के उरी सेक्टर में पाक आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हो गया. उनका पार्थिव शरीर हवाई मार्ग से जम्मू-कश्मीर से पटना लाया गया, जहां गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उन्हें अंतिम सलामी दी गई. पटना एयरपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे समेत कई नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
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गुरुवार को जब उनका पार्थिव शरीर दानापुर कैंप से सड़क मार्ग से नवगछिया पहुंचा, तो हजारों की भीड़ ने नम आंखों से अपने लाल का स्वागत किया. गांव में बाढ़ का पानी भरा होने के कारण घर के बाहर टेंट लगाकर अंतिम दर्शन की व्यवस्था की गई. हर कोई सिर्फ यही कह रहा था – “अंकित ने सिर्फ परिवार ही नहीं, पूरे देश का मान बढ़ाया है.”
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लेकिन इस शौर्य के पीछे एक अधूरा वादा भी था. वीरगति पाने से महज 5 घंटे पहले अंकित ने अपनी पत्नी रूबी देवी से फोन पर कहा था,
“इस बार आऊंगा तो छठ में दोनों बेटों का मुंडन करवाऊंगा.”
आज रूबी देवी बार-बार बेहोश हो जाती हैं, और होश में आने पर केवल यही सवाल करती हैं –
“अब किसके भरोसे करवाऊंगी बेटों का मुंडन?”
यह सुनते ही आसपास खड़े लोगों की आंखें भी नम हो जाती हैं.
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अंकित सिर्फ एक बहादुर सैनिक नहीं थे, बल्कि एक मिलनसार और हंसमुख इंसान भी थे. गांव के लोग बताते हैं कि वे छुट्टियों में आते तो सबसे पहले बच्चों को गोद में उठाते और बुजुर्गों के पैर छूते. उनकी कमी अब हर किसी को सालती रहेगी.
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आज गांव बाढ़ की चपेट में है, लेकिन अपने वीर बेटे को अंतिम विदाई देने के लिए हर कोई पानी में भी उतरने को तैयार है. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. वृद्ध माता-पिता को अभी बेटे की शहादत की खबर नहीं दी गई है, ताकि सदमे में उनकी तबीयत न बिगड़े.
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शहीद अंकित यादव की शहादत ने एक बार फिर याद दिलाया है कि आजादी और अमन की कीमत हमारे वीर सपूत अपने खून से चुकाते हैं. उनका यह बलिदान हमेशा बिहार और देश के लिए गर्व का विषय रहेगा.
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