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सूचना का अधिकार(RTI): आप कौन से सवाल नहीं पूछ सकते हैं?

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 नागरिकों के लिए बनाया गया एक ऐसा कानून है, जिसके माध्यम से वे सरकारी विभागों के कार्यों के बारे जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. यह अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है, जिससे नागरिकों को सरकारी निर्णयों में भाग लेने और अपने अधिकारों की रक्षा करने में मदद मिलती है.

एडवोकेट हर्ष पांडेय से सहारा समय ने बातचीत की. पांडेय ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम नागरिकों को सरकारी जानकारी तक पहुंचने का अधिकार प्रदान करता है, जिससे वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं और सरकारी निर्णयों में भाग ले सकते हैं. यह अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में मदद करता है, जिससे सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और अन्याय को कम किया जा सकता है.

सूचना का अधिकार (RTI)के लाभ व हानियां

लाभ –सरकारी कार्यों में पारदर्शिता,जवाबदेही, नागरिकों की भागीदारी आदि.
हानि– व्यक्तिगत मामलों में गोपनीयता का उल्लंघन,राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा,व्यावसायिक गोपनीयता का उल्लंघन.

सवाल– RTI से कौन सी जानकारी प्राप्त की जा सकती है?
जवाब
– एडवोकेट हर्ष पांडेय के अनुसार सरकारी विभागों के दस्तावेज जैसे कि फाइल नोटिंग,पत्राचार उनकी नीतियों और कार्यक्रमों एवं सरकारी विभागों के वित्तीय आंकड़े जैसे बजट व्यय और आय आदि जानकारी RTI के माध्यम से प्राप्त की जा सकती हैं. किन्तु कुछ ऐसी भी जानकारियां होती हैं जिनको नागरिकों तक नहीं पहुंचाया जा सकता,जिनमें से राष्ट्रीय सुरक्षा, भारतीय सेना की गोपनीय जानकारी,सार्वजनिक व्यवस्थाएं, व्यक्तिगत जानकारी ,व्यापारिक रहस्य,कॉपीराइट साहित्यिक या कलात्मक कार्य, अदालत के आदेश से प्रतिबंधित जानकारी को गोपनीय रखा जाता है जिनको RTI के माध्यम से प्राप्त नहीं किया जा सकता है.

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