हमीरपुर: जिले की जिला जेल में विचाराधीन बंदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. मृतक के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान मिलने के बाद परिजनों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया. घटना के बाद जेल गेट पर सैकड़ों लोगों ने हाईवे जाम कर दिया और जमकर हंगामा किया. दबाव बढ़ने पर प्रशासन ने डिप्टी जेलर और एक वार्डन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
घटना कैसे हुई?
मृतक की पहचान अनिल तिवारी (33) निवासी सूरजपुर गांव के रूप में हुई है. अनिल पर एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा चल रहा था और कुछ दिन पहले ही वारंट पर गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. परिवार का आरोप है कि जेल में उसे बेरहमी से पीटा गया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई. बाद में जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
परिजनों का आरोप
पोस्टमॉर्टम के दौरान जब परिजनों ने शव देखा, तो उस पर गंभीर चोटों के निशान मिले. इसके बाद गुस्साए परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया. मृतक की पत्नी पूजा तिवारी ने रोते हुए कहा – “मैं अपने पति को सही-सलामत जेल में छोड़कर आई थी, लेकिन जेल प्रशासन की पिटाई ने उसकी जान ले ली, अब मैं कोर्ट से न्याय मांगूंगी.”
जेल के बाहर बवाल और हाईवे जाम
घटना की खबर फैलते ही सैकड़ों लोग जेल गेट पर इकट्ठा हो गए और कालपी स्टेट हाईवे पर जाम लगा दिया. करीब 40 मिनट तक अफरा-तफरी का माहौल रहा. मौके पर पहुंचे सदर विधायक ने लोगों को शांत कराया और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया, तब जाकर जाम खुलवाया जा सका.
डिप्टी जेलर और वार्डन सस्पेंड
विवाद बढ़ता देख प्रशासन हरकत में आया और प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर डिप्टी जेलर संगेश कुमार और जेल वार्डन अनिल कुमार यादव को निलंबित कर दिया. दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
जांच और कार्रवाई
मामले की जांच जेल प्रशासन और पुलिस दोनों स्तर पर शुरू कर दी गई है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सभी तथ्य सामने आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. वहीं, मृतक के परिजनों ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और साफ कहा है कि जब तक न्याय नहीं मिलता, वे चुप नहीं बैठेंगे.
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