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Vastav AI: अब Deepfake वीडियोज, फ़ोटोज़ कैसे पहचानें?

Vastav AI Deepfake Detection System: आज के इस डिजिटल दौर में झूठ और सच में फर्क करना बहुत मुश्किल हो गया है. कभी कभी हमें बहुत से ऐसे वीडियोज, ऑडियोस मिलते हैं जो लगता है कि असली है लेकिन वो असल में नक़ली होते हैं. इसे ही डीपफेक (deepfake) कहा जाता है. डीपफेक का मतलब होता है AI की मदद से किसी असली इंसान की आवाज़ या चेहरा बदलकर नक़ली कंटेंट तैयार करना. यह लोगों को गुमराह करने के लिए और ग़लत ख़बरें फैलाने और कई बार किसी की इमेज भी ख़राब करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है .

इसी समस्या का निवारण करने के लिए भारत में एक नहीं तकनीक लॉन्च हुई है – Vastav AI Deepfake Detection System (वास्तव एआई डीपफेक डिटेक्शन). इसको झूठ को पकड़ने और सच को सामने लाने के लिए बनाया गया है.

क्या है वास्तव एआई (Vastav AI Deepfake Detection System)?

वास्तव एआई (Vastav AI) एक खास तरीके का क्लाउड-बेस्ड डीपफेक डिटेक्शन टूल है. इस एआई टूल को Zero Defend Security (ज़ीरो डिफेंड सिक्योरिटी) नाम की कंपनी ने मई 2025 में लॉन्च किया. यह तकनीक फ़ोटो, वीडियो और ऑडियो तीनो को एनालाइज करके बता सकता है कि ये कंटेंट असली है या नक़ली है. यानी अगर कोई वीडियो बहुत ज़्यादा वायरल हो रहा है तो ये टूल चेक करके तुरंत अलर्ट दे सकता है कि ये डीपफेक है या नहीं.इसकी सटीकता लगभग 99% बतायी जा रही है.

यह कैसे डिटेक्ट करता है?

वास्तव एआई (Vastav AI)में एआई और मशीन लर्निंग का बहुत अच्छा इस्तेमाल किया गया है. इसके अंदर पहले से ही बहुत से असली और नकली कंटेंट फीड किए गए हैं ताकि सिस्टम को पता रहे की असली कंटेंट और नकली कंटेंट में क्या फर्क है. जब कोई फोटो या वीडियो डाला जाता है तो ये तकनीक हर फ्रेम को माइक्रोलेवल पर करती है.

जैसे चेहरे के हावभाव, लिप मूवमेंट और पिक्सल में होने वाले कई छोटे बदलाव. डीपफेक कंटेंट में अक्सर हल्के से चेहरे के हावभाव में असमान्य होते हैं और बैकग्राउंड की भी मिक्सिंग में गड़बड़ी होती है.

यह एआई टूल लोगों की कैसे मदद करता है?

  • कोई भी न्यूज़ चैनल या डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म कोई भी वीडियो पब्लिश करने से पहले इस एआई टूल की मदद से उसको वारिफ़ाई कर सकते हैं.
  • अगर किसी व्यक्ति का कोई फर्जी वीडियो वायरल कर दिया गया हो उसको ब्लैकमेल करने के लिए तो वह इस एआई टूल की मदद से वीडियो को डिटेक्ट कर सकता है और लीगल एक्शन ले सकता है.
  • इस टूल में आप फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को इंटीग्रेट कर सकते हैं ताकि जैसे ही कोई डीपफेक कंटेंट अपलोड हो तो तुरंत वो ब्लॉक किया जा सके.
  • आज के समय के डीपफेक तकनीक इतनी सस्ती और आसान हो गई है कि कोई भी उसका इस्तेमाल करके किसी की भी ज़िंदगी चुटकियों में बर्बाद कर सकता है. कई बार तो फर्जी न्यूज़ चैनल भी इसपे भरोसा कर लेते हैं. पर ये एआई टूल ऐसी तकनीक है तो ऐसे झूठ को समय रहते पकड़ लेती है, जिससे अफवाओं पर लगाम लगती जा सकती है.

यह तकनीक हमारे भारत के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि हमारे देश में सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या करोड़ों में जिसके कारण फेक न्यूज़ और डीपफेक कंटेंट को रोकना अब मीडिया, सरकार और आम लोगों, सबकी जिम्मेदारी है.

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